हवा महल, जिसे "विंड पैलेस" के नाम से भी जाना जाता है, जयपुर, राजस्थान का एक प्रमुख और विशिष्ट स्मारक है। इसे 1799 में महाराजा सवाई प्रताप सिंह ने बनवाया था, और इसके डिजाइन का श्रेय वास्तुकार लाल चंद उस्ताद को दिया जाता है। यह महल राजपूत वास्तुकला का एक अद्भुत उदाहरण है, जिसमें मुगल शैली का भी प्रभाव देखा जा सकता है।
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photo credit : wikipedia जयपुर की शान हवा महल के बारे में रोचक तथ्य | Interesting Facts About Hawa Mahal Jaipur : |
1.हवा महल का निर्माण महाराजा सवाई प्रताप सिंह ने 1799 में करवाया था। राजस्थान के झुंजूनू में महाराजा भूपाल सिंह द्वारा बनवाए हुए खेतड़ी महल से प्रभावित होकर महाराजा प्रताप सिंह ने हवा महल का निर्माण करवाया था।
2. हवा महल 5 मंजिल की ईमारत है, जिनमे अनेको कमरे तथा खिड़किया है। इस महल के परिसर में 953 खिड़कियां है, जिनमे से 365 खिड़किया हवा महल में है। यही नहीं बल्कि इस महल के अंदर छोटी चौपड़ से बड़ी चौपड़ तक लगभग आधा किलोमीटर लम्बा एक सुन्दर गलियारा भी बना हुआ है।
3. महल का निर्माण मुख्य रूप से राजघराने की महिलाओं के लिए किया गया था ताकि वे बिना देखे, बाहर की गतिविधियों और त्योहारों का आनंद ले सकें। इन झरोखों से वे बाहर देख सकती थीं लेकिन उन्हें कोई बाहर से देख नहीं सकता था।
4. यह महल लाल और गुलाबी रंग के बलुआ पत्थरो से बना है। हवा महल जयपुर को दी गयी गुलाबी नगरी की उपाधि का पूर्ण उदहारण है।
5. इस महल का नाम हवा महल इसकी पांच मंजिलो के कारण रखा गया| क्योकि 5वी मंजिल को हवा मन्दिर के नाम से जाना जाता था, इसीलिए इसका नाम हवा महल रखा गया|
6. हवा महल दुनिया की सबसे ऊंची इमारत है जिसकी कोई नींव नहीं है। नींव के अभाव के कारण हवा महल 87 डिग्री के कोण पर झुका हुआ है।
7. हवा महल में कोई प्रवेश हेतु विशेष दरवाजा नहीं है, क्युकी यह ” सिटी पैलेस का ही एक हिस्सा है” ।
8. राजा सवाई सिंह कृष्ण के बहुत बड़े भक्त थे और उन्होंने उस्ताद लाल चंद को महल को भगवान कृष्ण के मुकुट के आकार में डिजाइन करने का आदेश दिया था, इसलिए शीर्ष पर आकर्षक छत्ते के आकार का मुकुट बनाया गया है!
9. हवा महल में मंजिलों को जोड़ने के लिए कोई सीढ़ियां नहीं हैं, बल्कि रैम्प हैं।
10. जंतर महल, सिटी पैलेस और नाहरगढ़ किले के शानदार दृश्यों को देखने के लिए सबसे अच्छी जगह हवा महल की सबसे ऊपरी मंजिल से है, जिसे हवा मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।
11. दिन के समय के अनुसार हवा महल का रंग बदलता रहता है। सुबह और शाम के समय महल पर पड़ने वाली सूरज की रोशनी इसे सुनहरे रंग में बदल देती है, जबकि दिन के समय यह गुलाबी रंग में चमकता है।
हवा महल न केवल जयपुर की पहचान है, बल्कि यह भारतीय वास्तुकला और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक भी है। इसकी अनूठी डिजाइन, इतिहास और उद्देश्य इसे एक खास स्थान बनाते हैं।
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