कुम्भलगढ़ किले का इतिहास एवं रोचक तथ्य | Interesting Facts about Kumbhalgarh Fort

कुम्भलगढ़ किला राजस्थान के राजसमंद जिले में स्थित एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर है। यह किला भारतीय वास्तुकला, इतिहास और संस्कृति का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करता है। कुम्भलगढ़ किले की विशेष जानकारी नीचे दी गई है:

Kumbhalgarh Fort
Kumbhalgarh Fort

कुम्भलगढ़ किले का इतिहास एवं रोचक तथ्य | Interesting Facts about Kumbhalgarh Fort

1. कुम्भलगढ़ किले का निर्माण मेवाड़ के शासक महाराणा कुम्भा ने 15वीं शताब्दी में करवाया था। किला 1443 और 1458 के बीच बनाया गया था| यह किला मेवाड़ के शासकों की सुरक्षा के लिए बनाया गया था। किले की स्थापत्य कला राजपूत और मुग़ल शैलियों का मिश्रण है, जिसमें जटिल नक्काशी और सजावट देखने को मिलती है। किले की दीवारें ग्रेनाइट और संगमरमर के पत्थरों से बनी हैं, जो इसे मजबूती और दीर्घकालिकता प्रदान करती हैं।

2. कुम्भलगढ़ को भारत की महान दीवार कहा जाता है। उदयपुर के जंगल से 80 किमी उत्तर में स्थित, अरावली पर्वतमाला पर समुद्र तल से 1,100 मीटर की पहाड़ी की चोटी पर निर्मित, कुंभलगढ़ के किले में परिधि की दीवारें हैं जो 36 किमी तक फैली हुई हैं और 15 फीट चौड़ी है, जो इसे दुनिया की सबसे लंबी दीवारों में से एक बनाती है।

3. कुंभलगढ़ किला चित्तौड़गढ़ किले के बाद राजस्थान का दूसरा सबसे बड़ा किला है। किला एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है और अपने ऐतिहासिक महत्व और स्थापत्य भव्यता के लिए प्रसिद्ध है।

4. किले में प्रवेश करने से पहले आपको सात विशाल द्वारों को पार करना होगा। प्रत्येक अगला द्वार पिछले द्वार से संकरा है। द्वारों का निर्माण इस तरह से किया गया था ताकि हाथी और घोड़े एक निश्चित बिंदु से आगे किले में प्रवेश न कर सकें।

5. ऐसा माना जाता है की कुंभ किले के दीवार के निर्माण के समय एक बहुत ही रहस्यमय कहानी जुड़ी है। महाराणा कुम्भा द्वारा साल 1443 में जब इस किले का निर्माण हो रहा था तभी बहुत सारी बाधा आने लगी थी। जिसे परेशान होकर कुम्भा ने एक संत को बुलाकर अपनी सारी समस्या बताई तब संत ने कहा की जो भी इस किले के निर्माण में अपनी स्वेच्छा से बलिदान देगा तभी इसका निर्माण कार्य पूरा हो पाएगा।

यह बात सुनकर एक अन्य संत ने कहा कि वह बलिदान देने को तैयार हैं। उन दूसरे संत ने कहा कि वह पहाड़ पर चढ़ते चले जाएंगे और जहां पर उनके कदम रुकेंगे उनकी बलि वही चढ़ा दी जाएगी, उनके कहे अनुसार महाराणा संत ने ऐसा ही करवाया और अंत में जाकर उनकी बलि चढ़ाने के बाद इस किले का निर्माण पूरा हो पाया।

6. यह किला महाराणा प्रताप का जन्मस्थान भी है, जो मेवाड़ के महान योद्धा और राजा थे। महाराणा प्रताप की वीरता और मुग़लों के खिलाफ उनके संघर्ष की कहानियाँ आज भी इस किले की दीवारों में गूँजती हैं।

7. इतिहास में कुम्भलगढ़ किला अपने प्राकृतिक और कृत्रिम सुरक्षा उपायों के कारण अजेय माना जाता था। इसे केवल एक बार, 1576 में, मुगल सम्राट अकबर, आमेर के राजा मानसिंह, और गुजरात और मारवाड़ के शासकों की संयुक्त सेनाओं ने थोड़े समय के लिए जीत लिया था।

8. किले के उच्चतम बिंदु पर स्थित बादल महल कुम्भलगढ़ का सबसे आकर्षक हिस्सा है। यह महल अपने सुंदर चित्रों, नक्काशीदार खिड़कियों, और झरोखों के लिए जाना जाता है। बादल महल को दो हिस्सों में बांटा गया है - मर्दाना महल और जनाना महल, जहाँ से किले के चारों ओर के सुंदर दृश्यों का आनंद लिया जा सकता है।

9. किले के अंदर 360 से अधिक मंदिर हैं, जिनमें से 300 जैन मंदिर और शेष हिन्दू मंदिर हैं। इन मंदिरों में नीलकंठ महादेव मंदिर विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, जिसे भगवान शिव को समर्पित किया गया है। किले में जैन मंदिरों की उपस्थिति मेवाड़ के शासकों की धार्मिक सहिष्णुता को दर्शाती है।

10. कुम्भलगढ़ किले में जल संरक्षण के लिए कई जलाशय और कुंड बनाए गए हैं। इन जलाशयों का निर्माण इस तरह से किया गया है कि वे सालभर पानी से भरे रहते हैं, जिससे किले के निवासियों की जल आवश्यकताओं की पूर्ति होती थी।

11. पर्यटकों के लिए किले में एक लाइट एंड साउंड शो का आयोजन किया जाता है, जिसमें किले के इतिहास, शौर्य और संस्कृति को दर्शाया जाता है। यह शो किले के इतिहास को जीवंत रूप में प्रस्तुत करता है और पर्यटकों को एक अद्वितीय अनुभव प्रदान करता है।

12. किला चारों ओर से अरावली की हरियाली और घने जंगलों से घिरा हुआ है। यह प्राकृतिक सुंदरता किले की भव्यता को और बढ़ा देती है और इसे ट्रेकिंग और एडवेंचर प्रेमियों के लिए एक आकर्षक गंतव्य बनाती है।

13. आपको बता दें महाराणा कुम्भा के रियासत में कुल 82 किले आते थे, जिसमें से राणा कुम्भा ने स्वयं 32 किलों के निर्माण का नक्शा खुद तैयार किया था। इतिहास के मुताबिक महाराणा कुम्भा से लेकर महाराजा राज सिंह के समय तक मेवाण पर हुए हमलों के दौरान राज परिवार इसी दुर्ग में रहता था। इतना ही नहीं पृथ्वीराज चौहान और महाराणा सांगा का बचपन भी इसी किले में बीता। महाराणा उदय सिंह को भी पन्नाधाय ने इसी किले में छिपाकर उनका पालन पोषण किया था।
 
कुम्भलगढ़ किला न केवल एक ऐतिहासिक धरोहर है, बल्कि यह राजस्थान की सांस्कृतिक और प्राकृतिक समृद्धि का प्रतीक भी है। इस किले का भ्रमण आपको भारतीय इतिहास की गहराइयों में ले जाता है और एक भव्यता का अनुभव कराता है, जो सदियों से इसकी दीवारों में संचित है।

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