पन्हाला किला महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले में स्थित एक ऐतिहासिक और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण किला है। यह किला मराठा साम्राज्य और विशेष रूप से छत्रपति शिवाजी महाराज से जुड़ा हुआ है।
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Photo Credit - Wikipedia |
पन्हाला किल का इतिहास:-
इस विश्व प्रसिद्ध किले का निर्माण सर्वप्रथम 12वीं शताब्दी में शिबहारा के शासक भोज द्वितीय ने करवाया था । वर्ष 1209 से 1210 के बीच भोज द्वितीय को देवगिरी के यादव राजा सिंघानिया ने युद्ध में पराजित किया था, जिसके बाद यादवों ने इस किले पर अपना कब्ज़ा करने की कोशिश की, लेकिन वे इस किले पर कब्ज़ा नहीं कर पाए।वर्ष 1489 में बीजापुर के सुल्तान आदिल शाह ने इस किले को अपने अधीन कर लिया और इसे चारों तरफ से सुरक्षित करने का काम किया। शाही वंश के शासक अफजल खान की मृत्यु के बाद छत्रपति शिवाजी महाराज ने इस किले को बीजापुर से छीन लिया, लेकिन आदिल शाह द्वितीय ने उनसे यह किला वापस पाने के लिए करीब 5 महीने तक युद्ध चलाया, जिसके बाद कुछ ऐसी स्थिति आ गई कि शिवाजी महाराज को वहां से भागना पड़ा।
इस युद्ध में बाजी प्रभु देशपांडे और शिवा काशिद जैसे महान मराठा योद्धा आदिल शाह द्वितीय के खिलाफ युद्ध लड़ रहे थे, इस भीषण युद्ध में मराठा साम्राज्य की सेना को भारी क्षति उठानी पड़ी क्योंकि इस युद्ध में मराठा साम्राज्य ने बाजी प्रभु देशपांडे जैसे योद्धा को खो दिया था। इस किले पर फिर से आदिल शाह द्वितीय का कब्जा हो जाने के बाद वह इस किले का ज्यादा समय तक उपयोग नहीं कर सका और वर्ष 1673 ई. में मराठा साम्राज्य के शासक शिवाजी महाराज ने इस किले पर पुनः कब्जा कर लिया।
पन्हाला किला महाराष्ट्र के बारे में रोचक तथ्य |Interesting Facts About Panhala Fort Maharashtra
1. किले का निर्माण:-
पन्हाला किले का निर्माण 12वीं शताब्दी में शिलाहार राजवंश के दौरान हुआ था, लेकिन इसे प्रमुखता से यादवों और बाद में मराठों ने विकसित किया। यह किला पश्चिमी घाटों के बीच बना है और एक प्रमुख व्यापारिक मार्ग पर स्थित था।
2. छत्रपति शिवाजी महाराज से संबंध:-
पन्हाला किला छत्रपति शिवाजी महाराज के शासनकाल में एक महत्वपूर्ण स्थल था। 1660 में शिवाजी महाराज और आदिलशाही सेनाओं के बीच हुई प्रसिद्ध 'पन्हाला की घेराबंदी' यहाँ की एक ऐतिहासिक घटना है। घेराबंदी के दौरान शिवाजी महाराज ने युद्ध कौशल दिखाते हुए रात में किले से सुरक्षित भागने की योजना बनाई, जिसे "बाजीराव बाला" के नाम से जाना जाता है।
3. किले की वास्तुकला:-
पन्हाला किला अपने स्थापत्य सौंदर्य के लिए भी प्रसिद्ध है। किले में कई प्रमुख संरचनाएँ हैं, जैसे अंधेरी, दरवाजे, कोठी दरवाजा, तीन दरवाजा, और सajja कोठी। इसके साथ ही यहाँ सुंदर बस्ती और जल आपूर्ति की अद्भुत व्यवस्था भी थी।
4. किले की ऊँचाई:-
पन्हाला किला समुद्र तल से लगभग 850 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। इस ऊँचाई के कारण इसे एक रणनीतिक दृष्टिकोण से आदर्श स्थान माना जाता था, क्योंकि यहाँ से पूरे इलाके पर नजर रखी जा सकती थी।
5. रंगनाथ स्वामी मंदिर:-
किले के अंदर एक प्राचीन मंदिर है, जो भगवान विष्णु के अवतार रंगनाथ को समर्पित है। यह मंदिर पन्हाला के धार्मिक महत्व को भी दर्शाता है।
6. आदिलशाही और मराठों के बीच संघर्ष:-
पन्हाला किला कई बार आदिलशाही और मराठों के बीच सत्ता संघर्ष का केंद्र रहा। मराठों ने इसे कई बार अधिग्रहित किया और खोया, लेकिन अंत में यह मराठा साम्राज्य का अभिन्न अंग बन गया।
7. मोहम्मद आदिल शाह की वास्तुकला:-
किले के अंदर की कुछ संरचनाएँ, विशेष रूप से मस्जिद और दरवाजे, मोहम्मद आदिल शाह के शासनकाल की वास्तुकला को दर्शाती हैं। यह एक मिश्रित शैली का अच्छा उदाहरण है।
8. रणनीतिक महत्व:-
किले का स्थान इसे सुरक्षा के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण बनाता है। इसकी ऊँचाई और मजबूत दीवारें इसे आक्रमणकारियों से बचाने में सक्षम बनाती थीं।
9. संबंधित ऐतिहासिक स्थल:-
पन्हाला किला कोल्हापुर से लगभग 20 किमी दूर स्थित है और पास ही में पैठण और मसाई पठार जैसे ऐतिहासिक स्थल भी स्थित हैं, जो इस क्षेत्र के सांस्कृतिक महत्व को दर्शाते हैं।
पन्हाला किला न केवल एक ऐतिहासिक धरोहर है, बल्कि महाराष्ट्र के समृद्ध इतिहास, संस्कृति और सैन्य कौशल का प्रतीक भी है।
पन्हाला किले का निर्माण 12वीं शताब्दी में शिलाहार राजवंश के दौरान हुआ था, लेकिन इसे प्रमुखता से यादवों और बाद में मराठों ने विकसित किया। यह किला पश्चिमी घाटों के बीच बना है और एक प्रमुख व्यापारिक मार्ग पर स्थित था।
2. छत्रपति शिवाजी महाराज से संबंध:-
पन्हाला किला छत्रपति शिवाजी महाराज के शासनकाल में एक महत्वपूर्ण स्थल था। 1660 में शिवाजी महाराज और आदिलशाही सेनाओं के बीच हुई प्रसिद्ध 'पन्हाला की घेराबंदी' यहाँ की एक ऐतिहासिक घटना है। घेराबंदी के दौरान शिवाजी महाराज ने युद्ध कौशल दिखाते हुए रात में किले से सुरक्षित भागने की योजना बनाई, जिसे "बाजीराव बाला" के नाम से जाना जाता है।
3. किले की वास्तुकला:-
पन्हाला किला अपने स्थापत्य सौंदर्य के लिए भी प्रसिद्ध है। किले में कई प्रमुख संरचनाएँ हैं, जैसे अंधेरी, दरवाजे, कोठी दरवाजा, तीन दरवाजा, और सajja कोठी। इसके साथ ही यहाँ सुंदर बस्ती और जल आपूर्ति की अद्भुत व्यवस्था भी थी।
4. किले की ऊँचाई:-
पन्हाला किला समुद्र तल से लगभग 850 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। इस ऊँचाई के कारण इसे एक रणनीतिक दृष्टिकोण से आदर्श स्थान माना जाता था, क्योंकि यहाँ से पूरे इलाके पर नजर रखी जा सकती थी।
5. रंगनाथ स्वामी मंदिर:-
किले के अंदर एक प्राचीन मंदिर है, जो भगवान विष्णु के अवतार रंगनाथ को समर्पित है। यह मंदिर पन्हाला के धार्मिक महत्व को भी दर्शाता है।
6. आदिलशाही और मराठों के बीच संघर्ष:-
पन्हाला किला कई बार आदिलशाही और मराठों के बीच सत्ता संघर्ष का केंद्र रहा। मराठों ने इसे कई बार अधिग्रहित किया और खोया, लेकिन अंत में यह मराठा साम्राज्य का अभिन्न अंग बन गया।
7. मोहम्मद आदिल शाह की वास्तुकला:-
किले के अंदर की कुछ संरचनाएँ, विशेष रूप से मस्जिद और दरवाजे, मोहम्मद आदिल शाह के शासनकाल की वास्तुकला को दर्शाती हैं। यह एक मिश्रित शैली का अच्छा उदाहरण है।
8. रणनीतिक महत्व:-
किले का स्थान इसे सुरक्षा के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण बनाता है। इसकी ऊँचाई और मजबूत दीवारें इसे आक्रमणकारियों से बचाने में सक्षम बनाती थीं।
9. संबंधित ऐतिहासिक स्थल:-
पन्हाला किला कोल्हापुर से लगभग 20 किमी दूर स्थित है और पास ही में पैठण और मसाई पठार जैसे ऐतिहासिक स्थल भी स्थित हैं, जो इस क्षेत्र के सांस्कृतिक महत्व को दर्शाते हैं।
पन्हाला किला न केवल एक ऐतिहासिक धरोहर है, बल्कि महाराष्ट्र के समृद्ध इतिहास, संस्कृति और सैन्य कौशल का प्रतीक भी है।