मध्य प्रदेश का ग्वालियर शहर एक ऐतिहासिक शहर है। इसका संबंध रामायण एवं महाभारत काल से मिलता है। शहरीकरण से पहले यह क्षेत्र साधु संतों की तपस्या का स्थान हुआ करता था। यहां कई प्रकार के अनुसंधान हुआ करते थे। बहुत कम लोग जानते हैं कि यहां का चतुर्भुज मंदिर दुनिया का दूसरा ऐसा स्थान है जहां पर गणित की संख्या 0 का उपयोग किया गया था। यहां ग्वालियर किले के बारे में कुछ रोचक तथ्य दिए गए हैं:
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The Gwalior Fort |
ग्वालियर किले के बारे में रोचक तथ्य | Fascinating Facts about the Gwalior Fort
1. ग्वालियर किले को बनने में कितना समय लगा इसकी कोई पुख्ता जानकारी नहीं हैं। पर स्थानीय लोगो के अनुसार इसे “राजा सूरज” सेन ने 8वीं शताब्दी में बनवाया गया था। उन्होंने इसे ग्वालिपा नाम के साधू के नाम पर धन्यवाद् के रूप में बनवाया। कहा जाता है की साधू ने उन्हें एक तालब का पवित्र जल पीला कर कुष्ठ रोग से निजात दिलाई थी। साधू ने उन्हें “पाल” की उपाधि से नवाज़ा था और आशीर्वाद दिया था। जब तक वे इस उपाधि को अपने नाम के साथ लगाएंगे तब तक ये किला उनके परिवार के नियंत्रण में रहेगा। सूरज सेन पाल के 83 उत्तराधिकारियों के पास इस किले का नियंत्रण रहा पर 84 वे वंशज के करण इस किले को हार गए।
2. इस किले को इसकी सुरक्षित बनावट के कारण इसे दो भागों में बाँटा गया है। पहला भाग ” गुजरी महल” जो की रानी मृगनयनी के लिए बनवाया गया और दूसरा भाग है “मान मंदिर” इसी किले पर “शून्य” से जुड़े हुए सबसे पुराने दस्तावेज किले के ऊपर जाने वाले रास्ते के मंदिर में मिले। जो की करीब 1500 साल पुराने थे।
3. ग्वालियर किले पर मुगल, राजपूत, और मराठा शासकों का अधिकार रहा है। बाबर ने इसे "भारत का मोती" कहा था, और यह किला अकबर के शासन के दौरान भी मुगलों के नियंत्रण में रहा।
4. किले के अंदर सास बहू मंदिर में शिव और विष्णु दोनों की मूर्तियाँ हैं। प्राचीन समय में इन दोनों देवताओं की पूजा अलग-अलग कुलों द्वारा की जाती थी। 9 वीं शताब्दी में, एक शाही सास और बहू के बीच इस बात को लेकर झगड़ा हुआ कि किस देवता की पूजा की जाए और उन दोनों को संतुष्ट करने के लिए यह अजीब मंदिर बनाया गया था।
5. गुजरी महल किले के अंदर स्थित एक महल है, जिसे राजा मान सिंह ने अपनी पत्नी मृगनयनी के लिए बनवाया था। अब इसे एक पुरातत्व संग्रहालय में परिवर्तित कर दिया गया है, जिसमें दुर्लभ मूर्तियां और अन्य पुरातात्विक वस्तुएं प्रदर्शित की जाती हैं।
6. किले के भीतर स्थित मान मंदिर महल 15वीं शताब्दी में राजा मान सिंह द्वारा बनवाया गया था। इसकी जटिल नक्काशी, संगीत कक्ष और अंडरग्राउंड कक्ष इसे अद्वितीय बनाते हैं।
7. किले की पहाड़ियों पर 7वीं से 15वीं शताब्दी के बीच बनाई गई जैन तीर्थंकरों की विशाल मूर्तियाँ हैं। ये मूर्तियाँ जैन धर्म के अनुयायियों के लिए विशेष महत्व रखती हैं और इनकी ऊंचाई 57 फीट तक होती है।
8. ग्वालियर किले के ऊपर एक प्राचीन तोपखाना भी है, जहाँ से पूरे शहर का दृश्य देखा जा सकता है। यह स्थल इतिहास और प्रकृति प्रेमियों के लिए एक अद्वितीय अनुभव प्रदान करता है।
9. 1857 के विद्रोह के दौरान, ग्वालियर किले ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। तात्या टोपे और रानी लक्ष्मीबाई ने यहां से अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष किया था। इसी युद्ध में रानी लक्ष्मीबाई को वीरगति प्राप्त हुई थी।
10. ग्वालियर किले का भी भारतीय संगीत में महत्वपूर्ण स्थान है, क्योंकि महान संगीतकार तानसेन का जन्म यहीं हुआ था|
2. इस किले को इसकी सुरक्षित बनावट के कारण इसे दो भागों में बाँटा गया है। पहला भाग ” गुजरी महल” जो की रानी मृगनयनी के लिए बनवाया गया और दूसरा भाग है “मान मंदिर” इसी किले पर “शून्य” से जुड़े हुए सबसे पुराने दस्तावेज किले के ऊपर जाने वाले रास्ते के मंदिर में मिले। जो की करीब 1500 साल पुराने थे।
3. ग्वालियर किले पर मुगल, राजपूत, और मराठा शासकों का अधिकार रहा है। बाबर ने इसे "भारत का मोती" कहा था, और यह किला अकबर के शासन के दौरान भी मुगलों के नियंत्रण में रहा।
4. किले के अंदर सास बहू मंदिर में शिव और विष्णु दोनों की मूर्तियाँ हैं। प्राचीन समय में इन दोनों देवताओं की पूजा अलग-अलग कुलों द्वारा की जाती थी। 9 वीं शताब्दी में, एक शाही सास और बहू के बीच इस बात को लेकर झगड़ा हुआ कि किस देवता की पूजा की जाए और उन दोनों को संतुष्ट करने के लिए यह अजीब मंदिर बनाया गया था।
5. गुजरी महल किले के अंदर स्थित एक महल है, जिसे राजा मान सिंह ने अपनी पत्नी मृगनयनी के लिए बनवाया था। अब इसे एक पुरातत्व संग्रहालय में परिवर्तित कर दिया गया है, जिसमें दुर्लभ मूर्तियां और अन्य पुरातात्विक वस्तुएं प्रदर्शित की जाती हैं।
6. किले के भीतर स्थित मान मंदिर महल 15वीं शताब्दी में राजा मान सिंह द्वारा बनवाया गया था। इसकी जटिल नक्काशी, संगीत कक्ष और अंडरग्राउंड कक्ष इसे अद्वितीय बनाते हैं।
7. किले की पहाड़ियों पर 7वीं से 15वीं शताब्दी के बीच बनाई गई जैन तीर्थंकरों की विशाल मूर्तियाँ हैं। ये मूर्तियाँ जैन धर्म के अनुयायियों के लिए विशेष महत्व रखती हैं और इनकी ऊंचाई 57 फीट तक होती है।
8. ग्वालियर किले के ऊपर एक प्राचीन तोपखाना भी है, जहाँ से पूरे शहर का दृश्य देखा जा सकता है। यह स्थल इतिहास और प्रकृति प्रेमियों के लिए एक अद्वितीय अनुभव प्रदान करता है।
9. 1857 के विद्रोह के दौरान, ग्वालियर किले ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। तात्या टोपे और रानी लक्ष्मीबाई ने यहां से अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष किया था। इसी युद्ध में रानी लक्ष्मीबाई को वीरगति प्राप्त हुई थी।
10. ग्वालियर किले का भी भारतीय संगीत में महत्वपूर्ण स्थान है, क्योंकि महान संगीतकार तानसेन का जन्म यहीं हुआ था|
ग्वालियर किला न केवल अपनी अद्वितीय वास्तुकला और इतिहास के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यह भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक भी है।
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