कोणार्क सूर्य मंदिर के बारे में रोचक तथ्य | Interesting Facts About Konark Sun Temple


कोणार्क मंदिर, जिसे कोणार्क का सूर्य मंदिर भी कहा जाता है, ओडिशा राज्य के कोणार्क शहर में स्थित है। यह मंदिर भगवान सूर्य को समर्पित है और इसे भारत की प्राचीन वास्तुकला और सांस्कृतिक धरोहर का एक अद्भुत उदाहरण माना जाता है। कोणार्क मंदिर को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता दी गई है।

Konark Sun Temple

Konark Sun Temple


कोणार्क सूर्य मंदिर के बारे में रोचक तथ्य | Interesting Facts About Konark Sun Temple:

  1. कोणार्क सूर्य मंदिर पूर्वी ओडिशा के पवित्र शहर पुरी के पास स्थित है।
  2. इसका निर्माण राजा नरसिंहदेव प्रथम द्वारा 13वीं शताब्दी ((1238-1264 ई) में किया गया था। यह गंग वंश के वैभव, स्थापत्य, मज़बूती और स्थिरता के साथ-साथ ऐतिहासिक परिवेश का प्रतिनिधित्व भी करता है।बिसु महाराणा मंदिर के मुख्य वास्तुकार थे।
  3. सूर्य मंदिर हिंदू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक, हिंदू भगवान सूर्य को समर्पित है। यह स्मारक सूर्यदेव के रथ का प्रतिनिधित्व करता है।मंदिर को एक विशाल रथ के आकार में बनाया गया है।
  4. इसे वर्ष 1984 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था।
  5. कोणार्क सूर्य मंदिर का एक अद्भुत रहस्य इसकी सूर्य मूर्ति है जो इसके निर्माण के दौरान चुंबकों के उपयोग के कारण हवा में लटकी हुई है।
  6. कोणार्क सूर्य मंदिर के दोनों ओर 12 पहियों की दो पंक्तियाँ हैं। कुछ लोगों का मत है कि 24 पहिये दिन के 24 घंटों के प्रतीक हैं, जबकि अन्य का कहना है कि 12-12 अश्वों की दो कतारें वर्ष के 12 माह की प्रतीक हैं।
  7. सात घोड़ों को सप्ताह के सातों दिनों का प्रतीक माना जाता है। सातो घोड़ों के नाम गायत्री, बृहती, उष्णिह, जगति, त्रिष्टुभ, अनुष्टुभ और पंकित हैं।
  8. कोणार्क सूर्य मंदिर हिंदू देवी-देवताओं, अप्सराओं, पक्षियों, समुद्री जीवों, जानवरों और पौराणिक प्राणियों की जटिल और विस्तृत नक्काशी से भरा है।
  9. सूर्य की पहली किरणें मंदिर के मुख्य द्वार पर पड़ती हैं।
  10. कोणार्क सूर्य मंदिर में स्थित रथ के प्रत्येक पहिये में आठ तीलियाँ हैं, जो एक पहर या 3 घंटे को दर्शाती हैं। इस तरह आठ तीलियाँ 24 घंटे को दर्शाती हैं। इन तीलियों की छाया को ध्यान से देखकर हम आसानी से समय बता सकते हैं।
कोणार्क का सूर्य मंदिर भारतीय इतिहास, कला और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसका वास्तुशिल्पीय सौंदर्य और धार्मिक महत्व इसे विश्व धरोहर स्थलों में एक प्रमुख स्थान प्रदान करता है।

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