स्वर्ण मंदिर, जिसे गोल्डन टेम्पल या हरमंदिर साहिब भी कहा जाता है, अमृतसर, पंजाब में स्थित एक प्रमुख सिख गुरुद्वारा है। यह सिख धर्म का सबसे पवित्र स्थल माना जाता है और इसे दुनिया भर के सिखों के लिए तीर्थस्थल के रूप में देखा जाता है।
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Golden Temple |
स्वर्ण मंदिर के बारे में रोचक तथ्य | Interesting Facts About Golden Temple:
1. स्वर्ण मंदिर की नींव सूफी संत मियां मीर ने रखी थी। इसे बनाने का सपना तीसरे सिख गुरु अमरदास का था। लेकिन इसका मुख्य कार्य और डिजाइन पांचवें सिख गुरु अर्जन देव ने शुरू किया था और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार स्वर्ण मंदिर के अंदर सिख धर्म का प्राचीन इतिहास भी बताया गया है।2. गुरुद्वारे की नींव 1581 में रखी गई थी और इसका निर्माण 1588 में पूरा हुआ था। 1604 में, सिख धर्म के प्रमुख धर्मग्रंथ आदि ग्रंथ की एक प्रति सिखों के पांचवें गुरु, गुरु अर्जन द्वारा गुरुद्वारे के अंदर रखी गई थी। उस समय, इस स्थल को अठ सथ तीर्थ कहा जाता था।
3. पहले मंदिर पर सोने की किसी भी तरह की कोई भी परत नहीं थी। एक बार जब पंजाब के राजा महाराजा रणजीत सिंह ने 19वी शताब्दी के दौरान पंजाब को बाहरी आक्रमणों से बचाया तभी मंदिर की भी मरम्मत की गई थी, जिसमें गुरुद्वारे के ऊपरी भाग को सोने से ढक कर इसकी सुंदरता को निखारा और इस मंदिर को सबसे अलग बना दिया गया।
4. स्वर्ण मंदिर अमृत सरोवर के बीच में बना है, इस झील को सबसे पवित्र झील भी माना जाता है। सिख धर्म की सबसे पवित्र पुस्तक गुरु ग्रंथ साहिब को सबसे पहले स्वर्ण मंदिर में ही स्थापित किया गया था। इस मंदिर का मुख्य हॉल गुरु ग्रंथ साहिब का घर माना जाता है
5. गुरुद्वारे में चार दिशाओं से चार प्रवेश द्वार हैं। ये प्रवेश द्वार बताते हैं कि किसी भी दिशा से कोई भी व्यक्ति इस पूजा स्थल पर आ सकता है।
6. स्वर्ण मंदिर को अमृत सरोवर के बीच में बनाया गया है। इस सरोवर को सबसे पवित्र सरोवर माना जाता है।
7. इस मंदिर की सबसे अलग बात यह है कि इसमें दुनिया की सबसे बड़ी रसोई है जहाँ हर दिन 1 लाख से ज़्यादा लोगों को मुफ़्त खाना परोसा जाता है। इस खाने को लंगर कहते हैं, जिसे प्रसाद के तौर पर स्वीकार किया जाता है।
8. मंदिर की पहली मंजिल अमृत सरोवर में डूबी हुई है और केवल कार सेवा के दौरान ही दिखाई देती है। चूँकि स्वर्ण मंदिर ज़मीन से नीचे एक निचले स्तर पर बना हुआ है, इसलिए मंदिर तक जाने वाली सीढ़ियाँ नीचे की ओर जाती हैं। यह हिंदू मंदिरों के बिल्कुल विपरीत है जो हमेशा ज़मीन से ऊपर एक ऊँचे मंच पर बनाए जाते हैं। स्वर्ण मंदिर की यह विशिष्ट विशेषता विनम्र जीवन जीने का प्रतीक है।
9. 1990 के दशक में प्रतिष्ठित स्वर्ण मंदिर का जीर्णोद्धार पांच सौ किलोग्राम शुद्ध सोने से किया गया था। इस प्रक्रिया के दौरान 24 कैरेट सोने का इस्तेमाल किया गया था | आज के हिसाब से सोने की कीमत 130 करोड़ से ज़्यादा है। यह काम भारत के कोने-कोने से आए कुशल कलाकारों ने किया था। जीर्णोद्धार पूरा होने में 1995 से 1999 तक चार साल लगे।
10. ऐसा कहा जाता है कि स्वर्ण मंदिर के जल में उपचारात्मक शक्तियां हैं।स्थानीय किंवदंतियों के अनुसार इस दरगाह के लिए भूमि किसी और ने नहीं बल्कि मुगल सम्राट अकबर ने उपहार स्वरूप दी थी।
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